चम्पापुर नाम का एक छोटा परंतु सुंदर सा नगर था, जिसमें चम्पकेश्वर नामका राजा राज करता था. उसकी सुलोचना नामक रानी थी और त्रिभुवन सुन्दरी नाम की मन मोहिनी सी लड़की. राजकुमारी यथा नाम तथा गुण थी.
जब वह बड़ी हुई तो राजा और रानी को उसके विवाह की चिन्ता हुई. चारों ओर इसकी खबर फैल गयी. बहुत-से राजाओं ने अपने गुणी चित्रकारों से अपने अपने चित्र बनवाकर भेजे पर राजकुमारी ने किसी को भी पसन्द न किया.
राजकुमारी बोली चित्र से केवल चेहरे की सुंदरता का बोध होता है. राजा ने कहा- वर की आंतरिक सुंदरता, गुण और कौशल का पता बिना प्रदर्शन के नहीं लगेगा. बिना प्रतियोगिता के समान गुणों में कौन श्रेष्ठ है यह नहीं मालूम होगा. अत: कहो तो स्वयंवर करूं?
लेकिन राजकुमारी स्वयंवर की बात पर राजी नहीं हुई. बाद में राजा ने राजकुमारी की सहमति से यह समाचार फैलाया कि वे त्रिभुवन सुन्दरी का विवाह उस आदमी के साथ करेंगे जो रूप, बल और ज्ञान, इन तीनों में बढ़-चढ़कर होगा.
कई राजकुमारों ने विवाह के लिए इच्छा जताई और कई अऩ्य लोगों ने भी अपना दावा पेश किया पर अधिकांशत: में राजकुमारी को कुछ विशेष गुण कौशल न दिखा इसलिए मना कर दिया. एक दिन राजा के पास चार देश के चार वर आए.
एक ने कहा- मैं एक विशेष कपड़ा बनाता हूं. उसे पांच लाख में बेचता हूं. लाख रूपए देवता को चढ़ाता हूं, लाख अपने अंग लगाता हूं, लाख स्त्री के लिए रखता हूँ और एक लाख खाने-पीने पर ख़र्चता हूँ. मेरी इस महान विद्या को और कोई नहीं जानता.
दूसरा बोला- मैं जल-थल के पशुओं की भाषा जानता हूँ. इनकी भाषा समझ मैं तमाम रहस्य खोल सकता हूं, वर्षा या सूखे की भविष्यवाणी कर सकता हूं.
तीसरे ने कहा, “मैं इतना शास्त्र पढ़ा हूँ कि मेरा कोई मुकाबला नहीं कर सकता. धरा के अधिकतर महापंड़ितों को मैं अपने ज्ञान से चमत्कृत कर सकता हूं.
चौथे ने कहा- मैं शब्दवेधी तीर चलाना जानता हूं. वह भले ही कितनी धीमी ध्वनि क्यों न हो, वह मेरे किसी भी दिशा से क्यों न ध्वनित हुई हो. मैं तत्काल और अचूक लक्ष्य भेद सकता हूं.
चारों एक से बढकर एक. उन सब की बातें सुनकर राजा सोच में पड़ गया. चारों युवक सुन्दरता में भी एक-से-एक बढ़कर थे. उसने राजकुमारी को बुलाकर उनके गुण और रूप का वर्णन किया, पर वह चुप रही.
इतना कहकर बेताल बना रुद्रकिंकर ने राजा विक्रमादित्य से प्रश्न पूछा- राजन्, राजा तो असमंजस में था पर राजकुमारी भी निर्णय नहीं कर पा रही थी. तुम बताओ कि राजकुमारी को किसे चुनना चाहिए?
राजा विक्रमादित्य बोले- हे किंकर! जो कपड़ा बनाकर बेचता है, वह शूद्र और वणिक का कार्य करता है. जो पशुओं की भाषा जानता है, वह केवल ज्ञानी है, उसमें गुण तो है पर कौशल नहीं. जो शास्त्र पढ़ा है, वह शास्त्रज्ञ ब्राह्मण है.
राजकुमारी बहुत गुणवान और ज्ञानवान है. वह सिर्फ अपने बारे में कदापि नहीं सोचेगी. उसे प्रजा की भी चिंता है क्योंकि राजा की वह एकमात्र संतान है. अर्थात उसे ऐसा वर चुनना होगा जो राज्य को चलाने में भी सक्षम हो.
राजा के पास कोष की कमी नहीं होगी इसलिए वह कपड़े के व्यापारी को पतिरूप में नहीं चुनेगी. पशुओं की भाषा जानने वाला राजकाज में कोई खास उपयोगी नहीं. शास्त्र का ज्ञाता उसके लिए इसलिए भी उत्तम नहीं क्योंकि वह स्वयं ज्ञानी है. पति में इस कमी को वह स्वयं पूरा कर सकती है.
अब रहा वह वर जो शब्दवेधी तीर चलाना जानता है. वह राजकुमारी का सजातीय क्षत्रिय है, अपने कौशल से सेना का विश्वास जीत सकता है, रण में उनका नेतृत्व कर सकता है. बुद्धिमान जन विवाह में सभी पक्षों का विचार करते हैं.
वह राजकुमारी बुद्धिमति है इसलिए उसने क्षत्रिय वर को ही चुना होगा. वही उस राजकुमारी के लिए सर्वथा योग्य भी है.
संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश