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भगवन आपने जिस दिन मुझे राजपाट सौंपा उसके कुछ दिन बाद ही वह पाताल वासियों के साथ लंका पहुँच कर मुझपर धावा बोल दिया. मैंने छः महिने तक मुकाबला किया पर ब्र्ह्माजी के वरदान ने उसे इतना ताकतवर बना दिया है कि मुझे भागना पड़ा.

अपने बेटे, मन्त्रियों तथा स्त्री के साथ किसी प्रकार सुरंग के जरिये भागकर यहाँ पहुँचा हूँ. उसने कहा कि ‘पहले धोखेबाज भेदिया विभीषण को मारुंगा फिर पिता की हतया करने वाले राम को भी मार डालूँगा. वह आपके पास भी आता ही होगा.

समय कम है, लंका और अयोध्या दोनों खतरे में हैं. जो उचित समझते हों तुरन्त कीजिये. भक्त की पुकार सुन लव, कुश तथा लक्ष्मण सहित सेना को तैयार कर पुष्पक यान पर चढ़ झट लंका की ओर चल पड़े.

मूलकासुर को श्रीरामचंद्र के आने की बात मालूम हुई, वह भी सेना लेकर लड़ने के लिये लंका के बाहर आ डटा. भयानक युद्ध छिड़ गया. सात दिनों तक घोर युद्ध होता रहा. मूलकासुर भगवान श्रीराम की सेना पर अकेले ही भारी पड़ रहा था.

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