[sc:fb]
अब जिसे विजय का आशीर्वाद दिया उससे युद्ध भी करना था. प्रभु ने ब्रह्मास्त्र निकाला और उसका संधान करने लगे.

उसी समय श्रीराम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ के साथ विश्वामित्र पहुंचे और प्रभु से अनुरोध किया वह ऐसा न करें. विश्वामित्र ने कहा- मैंने काशीराज को क्षमा कर दिया है. इसलिए आप उसका वध न करें.

हनुमानजी तुरंत प्रभु की सेवा में उपस्थित हुए. उन्होंने प्रभु वंदना की. उन्होंने प्रभु को सारी बात बताते हुए प्रभु के वचन की अनदेखी की विवशता बताई. भगवान उनकी वचनशीलता से बड़े प्रसन्न हुए और उन्हें हृद्य से लगा लिया.

भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया- आपके कई रूप आज मैंने देखे. आप पंचमुखी रूप में भक्तों के सिर पर मंडराते काल के संकट को टालने वाले संकटमोचक होंगे.

।।सियापति रामचंद्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय।।

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
आप सभी Maa Durga Laxmi Sharnam एप्पस जरूर डाउनलोड कर लें. माँ लक्ष्मी व माँ दुर्गा को समर्पित इस एप्प में दुर्लभ मन्त्र, चालीसा-स्तुति व कथाओं का संग्रह है. प्ले स्टोर से डाउनलोड कर लें या यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करें. विनती है कि कृपया एप्प की रेटिंग जरूर कर दें.

ये भी पढ़ें-
देवी मां ने शाप के जरिये दिये वरदान, पूरी की भक्त की इच्छाएं
माता सीता ने क्या युद्ध में रावण के वंश के एक असुर का संहार भी किया था
जानिए विवाह का आठवां वचन क्या है?
पति को वश में रखने का द्रौपदी ने सत्यभामा को सिखाया तंत्र-मंत्र से ज़्यादा कारगर ये यंत्र-करवा चौथ स्पेशल

हम ऐसी कथाएँ देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here