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उन्होंने श्रीराम से कहा कि अब मैं अयोध्या में नहीं रह सकता क्योंकि यहां मेरा घोर अपमान हुआ है.

प्रभु ने कहा- आपका अपमान तो मेरा अपमान है. ऐसा पाप करने वाले को मैं आप जो कहें दंड दूंगा.

विश्वामित्र ने कहा कि काशीराज ने अपमान किया इसलिए उन्हें श्रीराम प्राणदंड दें. प्रभु ने कहा कि चौबीस पहर बीतने से पहले काशीराज जीवित नहीं रहेगा.

नारदजी के सिखावे में तो काशी नरेश के प्राण संकट में पड़ गए. वह नारदजी के पास पहुंचे और कहा कि मेरे प्राण की रक्षा करें अन्यथा इसकी जिम्मेदारी उनकी होगी.

नारदजी ने कहा- घबराने की बात नहीं, आप मेरे साथ हनुमानजी की माता अंजना देवी के शरण में चलो.
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