इस पोस्ट को पढ़ने के बाद महाशिवरात्रि की पूजा से जुड़ी सारी जानकारियों से आप परिचित हो जाएंगे. आपको कहीं और भटकना नहीं पड़ेगा, यह हमारा दावा है. शिवरात्रि पूजा का महत्व बताने से पहले आपको एक जानकारी देने की अनुमति चाहते हैं.
आपने इस पेज को क्लिक किया इसका अर्थ है कि आपमें शिवजी के प्रति श्रद्धा है. आपको शिवजी से जुड़ी जानकारियों की ललक है, शिव महिमा को जानने-समझने की ललक है. उसे सुनकर आनंदित होते हैं.
शिवजी की विधिवत पूजा कैसे होती है, अभिषेक के नियम क्या हैं. प्रदोष कैसे करना चाहिए. शिवजी के किन मंत्रों से पूजा करने से प्राप्त होते हैं मनचाहे अभीष्ट. उन मंत्रों के जप की विधि क्या है? ये सारी जानकारी देने वाला एक एप्प है-महादेव शिव शंभू. इसमें आप संक्षिप्त और सरल रूप में शिवपुराण भी पढ़ सकते हैं. आप स्वयं आजमाकर देखें.
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ऐसे करें महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन-
तीन रात्रियों को विशेष माना गया है- कालरात्रि, महारात्रि और महोरात्रि. दीपावली और होली की रात्रि को कालरात्रि, शिवरात्रि को महारात्रि तथा नवरात्र में अष्टमी की रात्रि को महोरात्रि कहा जाता है. प्रत्येक उत्सव का अपना विशेष महत्व है लेकिन ये तीन अवसर पूजा, अनुष्ठान एवं साधना के लिए प्रमुख माने जाते हैं.
फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की त्रयोदिशी तिथि को महाशिवरात्रि होती है. इसी दिन भगवान शिव-पार्वती विवाह बंधन में बंधे थे. यह रात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि है. शिव पुरुष के प्रतीक हैं और पार्वती प्रकृति की.
पुरुष और प्रकृति के मिलन से ही सृष्टि की कल्पना है. इसलिए महाशिवरात्रि को पर्वों में विशेष माना गया है. यह ऐसा पर्व है जिस दिन सैव, शाक्त, वैष्णव, गांण्पत्य, सौर इन सबका भेद मिट जाता है. सभी पुरुष और प्रकृति के इस महामिलन के दिवस का उत्सव मनाते हैं.
महाशिवरात्रि को शिवलिंग की पूजा कैसे करें-
महारात्रि को स्वनिर्मित शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में वर्णित है. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है. बहुत से लोग महाशिवरात्रि को स्वयं पार्थिव लिंग बनाकर उसकी पूजा करते हैं.
पार्थिव शिवलिंग बनाने और उसके पूजन की विधि जो शिवपुराण में कही गई है वह हमने महादेव शिव शंभू एप्प में बताई है. आप वहां से देख सकते हैं. जरूरी नहीं कि आप शिवलिंग बनाएं हीं.
मंदिर आदि में शिवलिंग की विधिवित पूजा का फल है क्योंकि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी अपने अंशरूप में प्रत्येक शिवलिंग में समा जाते हैं.
महाशिवरात्रि को शिवजी की पूजा का सबसे उत्तम काल प्रदोष काला माना जाता है जब सूर्य चुके होते हैं परंतु उनकी थोड़ी सी लालिमा शेष रह जाती है.
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