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शिवपुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर देवताओं और पृथ्वी को मुक्त कराया था. तारकासुर को शिवजी अपने पुत्र के समान स्नेह करते थे लेकिन जब उसके पाप का घड़ा भर गया तो देवताओं के सेनापति शिवपुत्र कार्तिकेय को उसका संहार करना पड़ा.

तारकासुर के वध से क्रोधित उसके तीनों बेटों तारकाक्ष, कमलाक्ष और विंदुमाली ने कठोर तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न कर अमरता का वरदान माँगा. ब्रह्मदेव ने यह वर देने में असमर्थता जताई. तीनों हठ करने लगे. उन्होंने कहा कि हमें या तो यही वरदान दीजिए या फिर हम मान लें कि आपके दर्शन भी निष्फल होते हैं.
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2 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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