[sc:fb]
ब्रह्माजी ने कहा- हे जगतगुरु ! सुंदर सृष्टि समाप्त हो चुकी है. पुन: सृष्टि का आरम्भ जरूरी है. इसकी रचना आपकी सहायता के बिना न हो सकेगी. मैं सहायता की याचना से ही आपका स्मरण कर रहा था. आप मार्ग दिखाएं.
यह सुनकर विष्णुजी ने कहा-ब्रह्मदेव! आप यह पावन कार्य फिर से शुरू करें. आप इसमें अवश्य सफल होंगे. इस कार्य में आपको बहुत से विघ्न आएंगे. आपके समस्त विघ्नों को मैं सहूंगा. आप तो रचना कार्य में ध्यान दें. अन्य चिंताएं मुझे सौंप दीजिए.
भगवान विष्णु द्वारा ऐसे वचन सुनकर ब्रह्माजी भावविभोर हो गए. उनकी आंखों से भक्ति और प्रेमवश आंसू बहकर बह आए जो अनायास ही नारायण के चरणों पर गिरे.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.