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हमने कुछ समय पहले आपको चंद्रमा के पुत्र बुध की उत्पत्ति की कथा बताई थी. बुध के जन्म को लेकर हुए विवाद से बुध बड़ी ग्लानि महसूस करते थे.
श्रीविष्णु ने उन्हें उड़ने की शक्ति और कई वरदान दिए. अपने जन्म की कथा से व्यथित बुध का पारिवारिक जीवन से भरोसा उठ गया था. वह ब्रह्मचर्य का प्रयोग करते थे.
ब्रह्मा के पुत्र वैवस्वत मनु को आदिशक्ति से मैथुनी सृष्टि की रचना का आदेश मिला था. संतान की प्राप्ति के लिए मनु और श्रद्धा ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया.
पुत्र कामना से मित्र वरूण देवों को जो हविष अर्पित किया गया उस दौरान चूक हो गई. इस कारण मित्र वरुण ने पुत्र का लिंग परिवर्तित कर उसे पुत्री बना दिया.
इस तरह इला श्रद्धा के गर्भ में आ गईं. पति-पत्नी ने मित्र वरुण से क्षमा याचना की और यज्ञ से प्रसन्न कर उनसे गर्भस्थ शिशु का लिंग परिवर्तित कराया.
इस तरह बालक पुत्री इला का जन्म पुत्र सुदुयम्न के रूप में हुआ. सुदुयम्न एक दिन शिकार के पीछे भागता सरवन वन में उस स्थान तक चला गया जो देवी पार्वती ने संसार से गोपनीय रखा था.
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ज्ञान श्रोत के लिए आभार , धन्यवाद
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