पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
हमारा फेसबुक पेज लाइक कर लें इससे आपको प्रभु शरणम् के पोस्ट की सूचना मिलती रहेगी. इस लाइन के नीचे हमारे फेसबुक पेज का लिंक है उसे क्लिक करके लाइक कर लें.
[sc:fb]
एक प्रश्न सबसे ज्यादा आ रहा है- बच्चे का मन पढ़ने में नहीं लगता क्या करें? उसे पढ़ने को प्रेरित कैसे करें? कोई राह बताइए.
पढ़ाई तो बेहद जरूरी है और अगर बच्चा पढ़ ही न रहा हो तो चिंता की बात तो है. आज मैं आपको कुछ प्रयोग बताता हूं जो सफल रहा है. बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि जागी है.
इसे कई लोगों ने आजमाया और लाभ हुआ. मैंने खुद देखा है लाभ होते. तो आज मैं चर्चा करुंगा पढ़ाई में रूचि जगाने पर, आपके अंदर एक जरूरी बदलाव पर और एक पौराणिक कथा भी सुनाऊंगा.
भरद्वाज मुनि के बेटे की कथा आपके लिए अपने बच्चो को पढाई के लिए प्रेरित करने में उपयोगी साबित होगी क्योंकि उनका पुत्र यवक्रीत भी पढ़ने-लिखने से भागता था. स्वयं इंद्र ने एक ऐसा प्रयास किया जो आपको प्रेरित करेगा. आप जरूर पढ़ें.
शुरुआत करते हैं बच्चे में पढ़ाई के प्रति रूचि जगाने के प्रयास से-
बच्चा यदि पढ़ने को तैयार नहीं, आप सारे प्रयास करके हार गए तो एक प्रयास यह भी करिए. उसके सामने खाली मत दिखिए. आप स्वयं उसके सामने पढ़ना शुरू कर दीजिए.
उसे उत्सुकता होगी कि आप क्या पढ़ रहे हैं, क्यों पढ़ रहे हैं. इस उम्र में पढ़ने से क्या फायदा. इस तरह के बहुत से सवाल भी पूछेगा. आपको पूरी तैयारी रखनी है.
कोई पत्रिका या न पढ़ें जिसे देखकर वह अंदाजा लगाए कि आप आपना समय बिताने के लिए पढ़ रहे हैं या पढ़ रही है. आपको गंभीरता दिखानी है. इसलिए संभव हो तो कोई साहित्यिक पुस्तक पढना शुरू कर दें.
बच्चे को प्रयत्नपूर्वक य़ह आभास दिलाइए कि आप जब उसकी उम्र के थे तो किसी कारणवश बहुत सी चीजें नहीं पढ़ पाए इसलिए अपने दोस्तों के मुकाबले आप पिछड़ गए.
इसलिए बचपन की गलती को सुधार रहा/रही हूं. मुझे बहुत पढ़ना है. सबके बराबर पहुंचना है. आपकी भावभंगिमा स्वाभाविक होनी चाहिए जिससे बच्चा प्रभावित हो.
आपकी देखा-देखी आपके बच्चे को भी लगेगा कि उसे भी पढना है. इतने बड़े होने पर जब मेरे माता-पिता पढ़ रहे हैं तो मैं क्यों नहीं?
मेरे माता-पिता जिस कारण आज पछता रहे हैं, मुझे नहीं पछताना क्योंकि एक न एक दिन आखिर पढना ही पढ़ेगा तो क्यों न आज ही पढ़ लें.
मुझे ये टाइम खराब नहीं करना है. मुझे नहीं पछताना है. इस तरह कुछ दिनों में बच्चे के मन में भाव आने लगेगा और उसका मन अध्ययन में रमेगा.
इसके दोहरे लाभ हैं. धीरे-धीरे आप भी कुछ आदतें सुधार लेंगे. व्यर्थ में टीवी के सामने सिर खपाने के स्थान पर कुछ ज्ञान की बातें सीख जाएंगे. मैंने बहुत से लोगों को यह तरीका बताया है, लाभ हुआ है उन्हें.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.