October 8, 2025

प्रेम न बाड़ी उपजै, प्रेम न हाट बिकाय- पुण्य का कारोबारी चार रोटियों का मोल न दे पाया

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एक व्यापारी जितना अमीर था उतना ही दान-पुण्य करने वाला. वह सदैव यज्ञ-पूजा आदि कराता रहता था. एक यज्ञ में उसने अपना सबकुछ दान कर दिया. अब उसके पास परिवार चलाने लायक भी पैसे नहीं बचे थे.

व्यापारी की पत्नी ने सुझाव दिया कि पड़ोस के नगर में एक बड़े सेठ रहते हैं. वह दूसरों के पुण्य खरीदते हैं. आप उनके पास जाइए और अपने कुछ पुण्य बेचकर थोड़े पैसे ले आइए जिससे फिर से काम-धंधा शुरू हो सके.

पुण्य बेचने की व्यापारी की बिलकुल इच्छा नहीं थी लेकिन पत्नी के दबाव और बच्चों की चिंता में वह पुण्य बेचने को तैयार हुआ. पत्नी ने रास्ते में खाने के लिए चार रोटियां बनाकर दे दीं.

व्यापारी चलता-चलता उस नगर के पास पहुंचा जहां पुण्य के खरीदार सेठ रहते थे. उसे भूख लगी थी.

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