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सुंदर कथाओं से सींचते मन की नींव पर ही आप जिम्मेदार और सफल नागरिक रूपी महल खड़ा कर सकेंगे. गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं. दोपहर में ऐसी कथाओं की एक शृंखला शुरू हुई है जो दो महीने तक चलेगी.

इसके दो बड़े उद्देश्य है घर के बड़े-बुजुर्गों और बच्चों के बीच संवाद का एक नया आयाम खोलना जहां बच्चे बुजुर्गों से घुले-मिलें. दूसरा उन कथाओं के माध्यम से बच्चों में अच्छे गुण भरना. सीधी बात को अगर कथाओं के माध्यम से बताया जाए तो वह मन को ज्यादा असर करती है.

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धर्म का कर्तव्य है जिम्मेदार धार्मिक नागरिक बनाना. इसलिए धार्मिक पुस्तकों से हम प्रेरक कथाएं चुनकर ला रहे हैं. इसका लाभ लेने के लिए आप प्रभु शरणम् एप्पस डाउनलोड कर लें. इसका लिंक पोस्ट में सबसे ऊपर है औऱ कथा के अंत में भी है. आप देखें तो सही बहुत उपयोगी लगेगा.

आज का विषय है लालच त्यागने वाला ही महान बनता है. कथा ऐसे गुरुभक्त की कथा जिसकी भक्ति से प्रसन्न होकर गुरू ने उसे स्वयं से भी ज्यादा प्रसिद्ध विद्वान होने का आशीर्वाद दिया.

यह कथा गुरूभक्ति से भी ज्यादा संदेश इस बात का देती है कि दूसरे की वस्तु हमारे लिए ढेले जैसी ही होनी चाहिए. जैसे पड़ा है- पड़ा रहने दो, लालच मत करो. तभी महान बन सकते हैं. आप पढ़ें, समझें और अपने बच्चों को सिखाएं.

महर्षि आयोद धौम्य की ख्याति ऐसे गुरू के रूप में थी जो अपने शिष्यों की कड़ी परीक्षा लेते और उन्हें तपाकर सोने से कुंदन बना देते थे.

धौम्य के यहां उपमन्यु शिक्षा लेने आए. धौम्य ने भांप लिया कि उपमन्यु साधारण विद्यार्थी नहीं है इसलिए वह उपमन्यु की तरह-तरह से परीक्षा लिया करते थे.

गुरु ने उपमन्यु को गायें चराने का काम सौंपा. उपमन्यु दिनभर गाय चराते और शाम को आश्रम लौटते. एक दिन गुरु ने पूछा कि आजकल तुम खाते क्या हो?

उपमन्यु ने कहा- मैं भिक्षा मांगकर अपना काम चला लेता हूं.

गुरू ने कहा- ब्रह्मचारी को इस प्रकार भिक्षा का अन्न नहीं खाना चाहिए. जो कुछ भी मिले उसे गुरु को समर्पित कर देना चाहिए. फिर गुरू यदि कुछ दे तो ग्रहण करना चाहिए.

उपमन्यु ने स्वीकार कर लिया.

कुछ दिनों बाद फिर गुरू ने पूछा- उपमन्यु तुम जो कुछ भिक्षा में लाते हो वह तो मुझे दे देते हो, फिर तुम क्या खाते हो?

उपमन्यु बोला- मैं पहले भिक्षा लाता हूं. उसे आपको सौंप देता हूं. फिर मैं दोबारा भिक्षा मांगता हूं और उसी को खाकर अपना निर्वाह करता हूं.

गुरूदेव बोले- दोबारा भिक्षा मांगना तो धर्म के विरूद्ध है. इससे गृहस्थों पर अधिक भार पड़ेगा और दूसरे याचकों को अन्न नहीं मिलेगा. इसलिए दोबारा भिक्षा मांगने मत जाया करो.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

2 COMMENTS

  1. Please share stories, of Chatriya, so there will be more and more Chatriya will be created, all Hindus have lost their Chatriya.
    Have no one to fight for Hindu dharma, no one have love for their society.
    Awareness need to be created.
    All Hindu ritual need to be compare with science, because Hinduism is purely based on science.

    • आपने बहुत जरूरी बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया है. हम इसे समझते हैं. प्रभु शरणम् ऐप्प पर लगातार इस दिशा में प्रयास भी कर रहे हैं. आप प्ले स्टोर से Prabhu Sharnam App डाउनलोड करलें. वहां आपको यह सब मिलेगा. धन्यवाद

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