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मेरी पूजनीया सास ने मुझे घर परिवार, पति के लिए जो कर्तव्य बताये हैं मैं उनके पालन से कभी नहीं डिगती. अपनी सास की बुराई कभी नहीं करती हूं. अपने पतियों को कभी हीनभाव से नहीं देखती और भोजन वस्त्र आदि में शिकायत का प्रयास नहीं करती.
सत्यभामा, न तो कभी उनसे कठोर वचन बोलती हूं न उन पर संदेह करती हूं. जब कभी विवाद का मौका आता है तो मैं उसे टाल जाती हूं. पति बाहर चले जाते हैं तो न तो मैं बुरी संगत में बैठती हूं न ही अतिरिक्त श्रृंगार वगैरह करती हूं.
मैं अपने पति के सभी कुटुंबियों को जानती पहचानती हूं. परिवार के परिचितों से लेकर पुरखों तक, सबके बारे में मैंने गहराई से जाना है. सभी रिश्तों का पूरा ख्याल रखती हूं और उचित व्यवहार और कर्तव्य निभाती हूं.
देवपूजा, पर्व, श्राद्ध इत्यादि के खास भोजन, पकवान बनाने जैसे अवसरों का और अपने माननीयों की पूजा का मुझे हमेशा ध्यान रहता है. अनाज और दूसरी वस्तुओं की भंडार में क्या स्थिति है मुझे हर समय पता रहता है.
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