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सत्यभामा ने कहा- हे द्रौपदी! वे किसी और को नहीं बस तुम्हारा मुख देखते हैं. तुम्हारे वश में रहते हैं. आखिर इसका रहस्य क्या है? तुम्हारा स्थिर यौवन, कोई व्रत-उपवास, स्नान-ध्यान, जप-तप, जादू, जंतर- मंतर या कोई अन्य उपाय? मुझे भी बताओ जिससे मैं द्वारकाधीश को अपने वश में कर सकूं.
द्रौपदी ने कहा- आपने जो बातें कहीं हैं वे जतन तो कुटिल स्वभाव की स्त्रियां करती हैं. आप के लिए यह प्रश्न उचित नहीं. तंत्र-मंत्र, वशीकरण और इसी तरह के दूसरे उपायों से पति को स्त्री अपने वश में रख ही नहीं सकती.
पति को काबू करने के लिए तंत्र-मंत्र, का सहारा लेने वाली पत्नियों से पुरुष ऐसे ही डरता है जैसे घर में रहने वाले सांप से. इसका प्रयोग करने वाली स्त्री के प्रति वह हमेशा के लिए शंका और चिंता से भर जाता है. इससे दूरी बढती है.
मूर्खतावश तंत्र-मंत्र , जादू-जड़ी वाले धूर्तों के चक्कर में औरतें पतियों को ऐसी चीजें खिला देती हैं कि वे जलोदर, कोढ, पागलपन, बहरेपन और नपुंसकता जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. पांडव जिन कारणों से मुझ पर प्रसन्न हैं, वह मैं संक्षेप में बताती हूं.
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