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विदर्भ में एक राजा हुए सत्यरथ. धर्मनिष्ठ और प्रजापालक राजा. प्रजा अपने राजा से प्रसन्न थी और राजा अपने जीवन से. एक बार शाल्व नरेश ने विदर्भ पर आक्रमण कर दिया.

शत्रुओं के साथ युद्ध करती हुई सत्यरथ की सेना नष्ट हो गई. सत्यरथ भी रणभूमि में मारे गए. उनकी महारानी किसी तरह शत्रुओं से छिपकर भाग निकलीं. उस समय वह गर्भवती थीं.

रानी भगवान शिव की भक्त थीं. वह महादेव का स्मरण करती हुई एक अंजान रास्ते पर चलती जा रही थीं. रातभर चलकर वह एख सरोवर के तट पर पहुंचीं. रानी ने सरोवर के तट पर एक सुंदर बालक को जन्म दिया.

बालक को जन्म देने के बाद रानी को जोर की प्यास लगी. वह सरोवर में पानी पीने के लिए उतरीं तो दैवयोग से एक मगरमच्छ ने उनको खा लिया. बालक जन्म लेते ही अनाथ हो गया था.

भोलेनाथ स्वयं प्रकट होकर उसकी रक्षा करने लगे. उसी समय एक विधवा ब्राह्मणी अपने एक वर्ष के बालक को गोद में लिए वहां आ पहुंची. नवजात शिशु को अकेला देख उसके मन में ममता उमड़ी.
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