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श्रीगणेशजी के प्रहार से सिंधुरासुर के शरीर से रक्त की धारा फूटी. उनका शरीर असुर के रक्त से नहा गया और वह लाल रंग के हो गए.

सिंधुरासुर से मुक्ति पाकर देवों ने गणपति को विघ्नहर्ता कहकर उनकी वंदना की. गणेशजी के शरीर के लाल रंग की आराधना भी शुरू हुई और वह विघ्नकर्ता कहलाए.

संकलन व संपादनः राजन प्रकाश

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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