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शंबर युद्ध में दुश्मन से जीती और छुपा कर रखी ढेर सारी दौलत उनके कदमों में रख कर प्रस्तोक बोले, आपके पूज्य पिता ने भरोसा दिया था, हमें पूरा विश्वास है पर पापी मन को चैन नहीं है.
पायु ने कहा- घबराये नहीं. पिताजी ने इसीलिए मुझे आपके पास भेजा है. मैं कल सुबह मंत्रशक्ति से आपके अस्त्रों और आपको इतना दिव्य बना दूंगा कि आपकी हार सपने में भी मुमकिन नहीं होगी. अब आप लोग विजय यात्रा की तैयारी कीजिये.
पायु ऋषि के कहने पर दोनों राजा अपनी-अपनी रणनीति और योजना बनाने में लग गए. रातोंरात सेना तैयार कर दूसरे दिन दोनों सुबह ही राजा पायु के सामने थे.
ऋषि पायु ने गंगाजल और कुश लेकर ऋग्वेद के विजयप्रद सूक्त से, एक-एक अस्त्र को दिव्यास्त्र बना दिया. असल में वेद-ऋचा द्वारा स्तुति किए जाने के बाद सभी हथियार देवता सरीखे अजेय बन जाते हैं.
हथियारों को मंत्र की शक्ति देने के बाद पायु दोनों राजाओं को लेकर भरद्वाज के पास पहुंचे और काम पूरा हो जाने की सूचना दी. भरद्वाज ने राजाओं से कहा- अब आप लोग बेखौफ होकर दुश्मन पर चढ़ाई कर दें, आपकी विजय सुनिश्चित है.
मुझे पता है कि आपके शत्रु आपको हराने के बाद विश्राम कर रहे हैं. वे सोच भी नहीं सकते कि आप उनपर इतना शीघ्र आक्रमण कर सकते है. रणनीति कहती है कि यही आक्रमण का श्रेष्ठ समय है. अब तनिक भी देर न करें.
ऋषि भारद्वाज ने आगे कहा- एक बात और! हो सकता है कि असुर कड़ी टक्कर देने लग जायें तो उसकी भी व्यवस्था किए देता हूँ. देवराज इंद्र से अनुरोध करता हूँ कि अवसर पड़ने पर वे आपकी मदद के लिये मैदान में उतर पड़ें.
गुरु का आदेश लेकर अभ्यावर्ती और प्रस्तोक ने असुरों पर जोरदार हमला कर दिया. गुरु ने सच कहा था. सचमुच शत्रु विजय के नशे में मस्त पड़े हुये थे. इस अचानक के हमले ने उन्हें चक्कर में डाल दिया.
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