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आजकल दांपत्य जीवन की बाधा सबसे बड़ी समस्या के तौर पर सामने आ रही है. विवाह में विच्छेद की नौबत बड़ी जल्दी आ रही है. कुछ विवाह तो सालभर का समय भी पूरा नहीं कर पा रहे.

विवाह जीवन का आवश्यक संस्कार है. इसे बचाकर रखना और दांपत्य का आनंद लेना सबकी जिम्मेदारी है लेकिन कुछ कारणों से इसमे बाधा आ जाती है. अच्छी बात यह है कि अगर समय रहते हम प्रयास करें तो इन बाधाओं को सरलता से दूर करके सुखद दांपत्य जीवन भोग सकते हैं.

क्यों बिगड़ता है दांपत्य जीवनः

ज्योतिषशास्त्र में लग्न से सप्तम या चंद्र से सप्तम दांपत्य सुख, प्रेम प्रसंग, वासनात्मक स्थितियां जीवनसाथी का चरित्र, स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, वैवाहिक जीवन के सुख का विचार किया जाता है.

साथ ही अष्टम भावभी सप्तम भाव जैसा ही महत्वपूर्ण है. यह परिवार को बसाने वाला भाव होता है. इसमें पति-पत्नी के आपसी सुख का विचार होता है.

लग्न से सप्तम भाव, चंद्रमा से सप्तम भाव एवं शुक्र इन तीनों बिंदुओं का अगर संयोग उत्तम होता है तो दांपत्य उत्तम चलता है.

सप्तम भाव यदि सूर्य, मंगल, शनि, राहु एवं केतु जैसे पापग्रह से पीड़ित हो, उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो निश्चित रूप से तलाक की स्थिति आती है. अगर न आए तो जीवनभर झगड़ा तो होना ही है.

यदि अष्टम भाव एवं द्वादश भाव भी पापग्रह से पीड़ित हो तो पति-पत्नी में कलह बना रहता है. शैय्या सुख नहीं होता. निजी संबंधों को लेकर दोनों में ऐसा असंतोष रहता है कि संबंध विच्छेद की स्थिति आ जाती है.

अगले पेज पर पढ़ें तलाक के कारण और सरल निवारण अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

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