[sc:fb]
इंद्रलोक की अप्सरा हेमा मयासुर के इस ऐश्वर्य पर मुग्घ हो गईं. उन्हें मयासुर से प्रेम हो गया. मैं हेमा की प्रिय सखी हूं.
इंद्र को जब पता चला कि उनकी अप्सरा को असुर से प्रेम हुआ है तो वह युद्ध करने चले आए. दोनों में युद्ध आरंभ हो गया.
इंद्र ने मयासुर पर वज्र से प्रहार किया. मयासुर का अंत हो गया. इंद्र के इस आचरण से हेमा को बहुत आघात लगा.
उसने देवकन्या होने पर भी किसी भी हाल में यहां से जाने से मना कर दिया. तब ब्रह्माजी ने इस वन को हेमा के संरक्षण में दे दिया.
हेमा सुरक्षित रहे इसके लिए उन्होंने व्यवस्था दी कि बिना उसकी अनुमति के प्रवेश करने वाला जीव इसी माया में उलझकर प्राण दे देगा.
अब यह स्थान हेमा के ही आधीन है. मैं हेमा की प्रिय सखी हूं इसलिए उसका त्याग नहीं कर सकती. उसी के द्वारा नियुक्त होकर मैं इस स्थान का संरक्षण करती हूं.
अब आप सब बताएं कि किस प्रयोजन से घूमते यहां तक आ पहुंचे. कौन सा रामकाज करने निकले हैं?
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.