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वायव्य दिशा-
मंगलवार को उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है. इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है. सप्तमी तिथि को वायव्य दिशा में दिकशूल माना गया है.
उपाय:
मंगलवार को गुड़ खाकर घर से बाहर निकलें. इससे पहले पांच कदम पीछे चलें.
ईशान दिशाः
बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशाशूल रहता है.
उपाय:
बुधवार को तिल या धनिया खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द की दाल या तिल खाकर घर से बाहर निकलें. इससे पहले पांच कदम पीछे चलें.
नोट: नासिका का जो स्वर चलता हो उसी तरफ का पैर आगे बढ़ाकर यात्रा शुरू करनी चाहिए. वाम नासिका में चंद्र स्वर दक्षिण नासिका में सूर्य स्वर चलता है. अतः यदि यात्रा के समय वामस्वर चल रहा है तो पहले बायां पैर आगे रखें.
यदि सूर्यस्वर चल रहा हो तो दायां पैर पहले आगे रखें. कदम बढ़ाने से पहले पांच कदम उल्टे पीछे चलें. दिशाशूल पीठ का व बायां लेना ठीक रहता है. सम्मुख और दाहिना वर्जित रहता है.
यात्रा में चंद्रमा के वास का प्रसंग जरूर विचार लेना चाहिए. जिस दिशा में यात्रा करनी है यदि चंद्रमा उसी दिशा में या दाहिने हो तो यात्रा शुभ मानी जाती है. यदि चंद्रमा पीछे या बाएं हों तो यात्रा के शुभफलदायी होने में संदेह होता है.
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प्रस्तुतिः
डॉ. नीरज त्रिवेदी,
ज्योतिषाचार्य, पीएचडी (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)
सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान
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