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किस दिन होता है किस दिशा में दिकशूल और क्या हैं उपायः
पूर्व दिशा-
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा करने से यथासंभव बचना चाहिए. साथ ही ज्येष्ठा नक्षत्र में भी पूर्व दिशा की यात्रा को दिशाशूल यानी वर्जित माना जाता है. विजय की अभिलाषा से यात्रा करने वाले बुद्धिमान जन इन दिशाशूलों का मान रखें ऐसा शास्त्रों में कहा गया है.
इसके अलावा प्रतिपदा यानी किसी भी पक्ष की प्रथम तिथि को पूर्व दिशा की यात्रा से भी बचना चाहिए. जैसे अमावस्या या पूर्णिमा के बाद आने वाली तिथि प्रतिपदा हुई. इस दिन पूर्व में यात्रा दिकशूल होती है.
उपाय:
सोमवार को दर्पण देखकर या पुष्प खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम उल्टे पैर चलें।
पश्चिम दिशा-
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है. इस दिन पश्चि.म दिशा में दिशा शूल रहता है. रोहिणी नक्षत्र में भी पश्चिमी दिशा की यात्रा दिकशूल होती है. किसी भी पक्ष की षष्ठी तिथि को भी पश्चिम दिशा की यात्रा दिकशूल होती है.
उपाय:
रविवार को दलिया, घी या पान खाकर और शुक्रवार को जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें. इससे पहले पांच कदम पीछे चलें.
उत्तर दिशाः
मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है. इस दिन उत्तर दिशा में दिशाशूल माना गया है. उत्तरा फाल्गुणी नक्षत्र में व किसी पक्ष की द्वितीय तिथि को भी उत्तर दिशा की यात्रा से बचने का प्रयास करना चाहिए.
उपाय:
मंगलवार को गुड़ खाकर और बुधवार को तिल, धनिया खाकर घर से बाहर निकलें. इससे पहले पांच कदम पीछे चलें.
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