मगध में एक बार खाद्यान्न संकट खड़ा हो गया. सम्राट् श्रेणिक ने अपनी राजसभा में पूछा- देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है?
मंत्रिगण सोच में पड़ गए. चावल, गेहूं, आदि पदार्थ को उगाने के लिए बहुत श्रम करना होता है. वह तभी प्राप्त होते हैं जब प्रकृति का प्रकोप न हो. ऐसे में अन्न तो सस्ता हो नहीं सकता.
तभी शिकार का शौक रखने वाले एक मंत्री ने सोचा कि यह अवसर है अंधाधुंध शिकार के लिए राजा की आज्ञा ले लेना का. उसने कहा- सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ तो मांस है. इसके लिए धन का खर्च भी नहीं और पौष्टिक खाना मिल जाता है.
सभी मंत्रियों ने इस बात का समर्थन कर दिया लेकिन मगध के प्रधानमंत्री अभय चुप रहे. श्रेणिक ने पूछा- प्रधानमंत्री आप चुप क्यों हैं? आपने इसका अनुमोदन नहीं किया. आपका क्या मत है?
प्रधानमंत्री ने कहा- मैं यह नहीं मानता कि यह कथन कि मांस सबसे सस्ता है पदार्थ है. फिर भी इस विषय पर अपने विचार आपके समक्ष कल रखूंगा. उसी रात को प्रधानमंत्री उस सामंत के महल जा पहुंचे जिसने मांसाहार का प्रस्ताव रखा था.
सामंत ने इतनी रात गए प्रधानमंत्री को देखा तो घबरा गया. प्रधानमंत्री ने कहा- संध्या को महाराज बीमार हो गए. उनकी हालत खराब है. राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाय तो राजा के प्राण बच सकते हैं.
आप महाराज के विश्वासपात्र सामन्त हैं. इसलिए आपसे योग्य कौन होगा! इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहें, ले सकते हैं. कहें तो मैं आपको एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दे सकता हूं. मैं कटार से आपका हृदय चीरकर सिर्फ दो तोला मांस निकालूंगा.
यह सुनते ही सामान्त के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. वह सोचने लगा कि जब जीवन ही नहीं रहेगा, तब लाख स्वर्ण मुद्राएं किस काम आएंगी! उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ लिए.
उसने अपनी तिजोरी से एक लाख स्वर्ण मुद्राएं देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें किंतु उसे जाने दें.
मुद्राएं लेकर प्रधानमंत्री बारी-बारी से सभी सामन्तों के द्वार पर पहुंचे और सबसे राजा के लिए हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ. सबने अपने बचाव के लिए प्रधानमंत्री को लाख, दो लाख और पांच लाख स्वर्ण मुद्राएं दे दीं.
इस प्रकार एक करोड़ से ऊपर स्वर्ण मुद्राओं का संग्रहकर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले अपने महल पहुंच गए और समय पर राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएं रख दीं.
राजा ने पूछा- ये मुद्राएं किसलिए हैं? प्रधानमंत्री ने सारा हाल कह सुनाया- दो तोला मांस के लिए इतनी धनराशि इक्कट्ठी हो गई फिर भी मांस नहीं मिला. अपनी जान बचाने के लिए सामन्तों ने ये मुद्राएं दी हैं. अब आप विचारें कि मांस कितना सस्ता है?
राजा को बात समझ में आ गई. उन्होंने कृषि कार्य के लिए अतिरिक्त परिश्रम का आदेश दिया.
जीवन का मूल्य अनन्त है. हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी होती है, उसी तरह सभी जीवों को अपनी जान प्यारी होती है. अपने दिल से जानिए पराए दिल का हाल.
संकलनः आदित्य कुमार शर्मा
संपादनः राजन प्रकाश
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